संदेश

जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संत सूरदास

चित्र
सूरदास   कृष्णभक्त कवी- सूरदास जीवन परिचय  :-            सूरदास का जन्म 1478 ई में सीही क्षेत्र में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म दिल्ली के पास सीही नामक स्थान पर एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह बहुत विद्वान थे, उनकी लोग आज भी चर्चा करते है। वे मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता, रामदास बैरागी प्रसिद्ध गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में अनेक भ्रान्तिया है, प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में 1583 ईस्वी में हुई। जन्म :  इ. स. 1478 जन्मस्थळ :  सीही, दिल्ली गुरु का नाम :   वल्लभाचार्य  ग्रंथ :-             (1)  सूरसागर (2)   सूरसारावली (3)   साहित्य-लहरी   (4)   नल-दमयन्ती (5)   ब्याहलो भाषाशैली :   ब्रज संप्रदाय :  पुष्टी तथा   अष्ट संप्रदाय मृत्यु :  इ.स.   1583 ( पारसोली ग्रा

विश्व हिन्दी दिवस

चित्र
  विश्व हिन्दी दिवस   (विश्व हिंदी दिवस) प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है।   इसका उद्देश्य विश्व में   हिंदी   के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में   भारत   के   दूतावास   इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को   नागपुर   में आयोजित हुआ तब से ही इस दिन को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता है। दसवें  विश्व हिन्दी सम्मेलन  ( भोपाल ) का दृष्य विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य संपादित करें विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना, करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना हिन्दी की दशा के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है। विश्व हिंदी दिवस का इतिहास विश्व हिंदी दिवस हर स