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📔 बी.ए.भाग १ - मोचीराम

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  मोचीराम                                                                             (कवि - सुदामा प्रसाद पाण्डेय -   धूमिल) प्रश्न : मोचीराम कविता में किसका वर्णन है ?             मोचीराम   के माध्यम से कवि उस बनिए की हरकत और बेशर्मी का यथार्थ   वर्णन   करता है। कवि ने   मोचीराम   केे दुख को व्यक्त किया है क्योंकि बनिया उसको उसकी मेहनत के पूरे पैसे नहीं देता है , और उसकी अभद्र भाषा भी सुनता है   मोचीराम   दुखी है। कवि का मानना है की पेशा एक व्यक्ति का बोध कराता है , जबकि भाषा पर किसी भी जाति का हक है।              चेहरे से वह आदमी को नहीं पहचानता , जूतों से पहचानता है , और उसके लिए आदमी की पहचान बहुत स्पष्ट है - एक जोड़ी जूता , और जूता भी वह है जो उसके पास मरम्मत के लिए आता है। ' बाबूजी सच कहूँ - मेरी निगाह में / न कोई छोटा है / न कोई बड़ा है / मेरे लिए , हर आदमी एक जोड़ी जूता है / जो मेरे सामने मरम्मत के लिए खड़ा है।                   प्रस्तुत कविता साठोत्तरी कवि धूमिल द्वारा रचित उनकी कविता मोचीराम से अवतरित हैं। इसमें कवि ने मोचीराम के माध्यम से अपने विचारों की अभिव्यक्ति की ह