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हिंदी पखवाड़ा संपन्नता समारोह 2022-23

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हिंदी पखवाड़ा  संपन्नता समारोह   2022-23 कला और वाणिज्य महाविद्यालय माढा के हिंदी विभाग के सहाय्यक प्रा.कदम एन बी  सर दि. 1 4 / 0 9 / 20 22 मा ढा तालुका शिक्षण प्रसारक मंडळ संचलित के   एन. भिसे आर्ट्स, कॉमर्स अँण्ड विनायकराव पाटील सायन्स कॉलेज विद्यानगर, भोसरे के हिंदी विभाग के अंतर्गत   दि. 1 सितंबर से 1 4 / 0 9 / 20 22  तक हिंदी पखवाड़ा संपन्नता समारोह   के उपलक्ष्य में ‘ हिंदी  और रोजगार की संभवनाए ’ इस विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया | इस व्याख्यान के लिए प्रमुख अतिथि कला और वाणिज्य महाविद्यालय माढा के हिंदी विभाग के सहाय्यक   प्रा.कदम एन बी  सर उपस्थित थे | इस कार्यक्रम के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पी. एस. कांबळे सर,प्रमुख उपस्थिति माढा तालुका शिक्षण प्रसारक मंडळ   के  अध्यक्ष माजी आमदार माननीय विनायकराव पाटिलजी थे | इस कार्यक्रम का संयोजन हिंदी विभागप्रमुख प्रा. डॉ. मनीषा साळुंखे , सहाय्यक प्राध्यापक रोहिदास रोकड़े सरजी ने किया | इस कार्यक्रम में हिंदी विषय के सभी छात्र उपस्थित थे |   हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत विभिन्न  कार्यक्रम का आयोजन  हिंदी विभाग में  किया

हिंदी दिन 2021

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हिंदी दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ   राष्ट्रभाषा हिन्दी का इतिहास भारतवर्ष की पवित्र भूमि विदेशियों से पदाक्रांत थी। उन्हीं के रीति-रिवाज और उन्हीं की सभ्यता को प्रधानता दी जाती है। अंग्रेजी पढ़ने, बोलने और लिखने में भारतीय गौरव का अनुभव करते थे। राज्य के समस्त कार्यों की भाषा अंग्रेजी ही थी। न्यायालयों के निर्णय, दफ़्तरों की काग़ज़ी कार्यवाही, विश्वविद्यालयों की शिक्षा, शासकीय आज्ञाएँ सभी कुछ अंग्रेजी में होता था। हिंदी में लिखे गए प्रार्थना-पत्रों को फाड़ कर रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता था। बेचारे भारतीय विवश होकर अच्छी नौकरी एवं शासन के मान की लालसा से अंग्रेजी पढ़ते थे। संस्कृत को तो ‘मातृभाषा’ की उपाधि प्रदान कर दी गई थी। एक प्रवाह था, एक धूम मची हुई थी, सारे देश में अंग्रेजी की। परंतु देश के भाग्य ने पलटा खाया, भारतीय साधकों की साधनाएँ फलवती हुईं। 15 अगस्त 1947 को देश को स्वाधीनता प्राप्त हुई। जब तक देश में अंग्रेज थे तब तक अंग्रेजी का स्ववश या परवश आदर होता था। परंतु उनके जाने के पश्चात यह नितांत असम्भव था कि देश के सारे राजकाज अंग्रेजी में हों। अतः जब देश का संविधान बनने लगा त