हिंदी दिन 2021



हिंदी दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ 


राष्ट्रभाषा हिन्दी का इतिहास

भारतवर्ष की पवित्र भूमि विदेशियों से पदाक्रांत थी। उन्हीं के रीति-रिवाज और उन्हीं की सभ्यता को प्रधानता दी जाती है। अंग्रेजी पढ़ने, बोलने और लिखने में भारतीय गौरव का अनुभव करते थे।

राज्य के समस्त कार्यों की भाषा अंग्रेजी ही थी। न्यायालयों के निर्णय, दफ़्तरों की काग़ज़ी कार्यवाही, विश्वविद्यालयों की शिक्षा, शासकीय आज्ञाएँ सभी कुछ अंग्रेजी में होता था। हिंदी में लिखे गए प्रार्थना-पत्रों को फाड़ कर रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता था। बेचारे भारतीय विवश होकर अच्छी नौकरी एवं शासन के मान की लालसा से अंग्रेजी पढ़ते थे। संस्कृत को तो ‘मातृभाषा’ की उपाधि प्रदान कर दी गई थी। एक प्रवाह था, एक धूम मची हुई थी, सारे देश में अंग्रेजी की।

परंतु देश के भाग्य ने पलटा खाया, भारतीय साधकों की साधनाएँ फलवती हुईं। 15 अगस्त 1947 को देश को स्वाधीनता प्राप्त हुई। जब तक देश में अंग्रेज थे तब तक अंग्रेजी का स्ववश या परवश आदर होता था। परंतु उनके जाने के पश्चात यह नितांत असम्भव था कि देश के सारे राजकाज अंग्रेजी में हों।

अतः जब देश का संविधान बनने लगा तब प्रश्न या उपस्थित हुआ कि देश की राष्ट्रभाषा कौन-सी हो? क्योंकि बिना राष्ट्रभाषा के कोई भी देश स्वतंत्र होने का दावा नहीं कर सकता। राष्ट्रभाषा समूचे राष्ट्र की आत्मा को शक्ति सम्पन्न बनाती है। प्रत्येक राष्ट्र अपनी राष्ट्रभाषा के प्रचार और प्रसार का प्रयत्न करता है। रूस, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, आदि स्वतंत्र देशों में अपनी-अपनी राष्ट्रभाषाएँ हैं। राष्ट्रभाषा से देश के स्वतंत्र अस्तित्व की रक्षा होती है।

संविधान-निर्माण काल में कुछ ऐसे भी व्यक्ति थे, जो अंग्रेजी को ही राष्ट्रभाषा बनाए रखने के पक्ष में थे। इस प्रकार के वे भारतीय थे, जो अंग्रेजी साहित्य के निपुण थे, ऊँचे-ऊँचे पदों पर आसीन थे और जिन्हें हिंदी पढ़ना या लिखना बिलकुल नहीं आता था। उन्हें भय था कि यदि हिंदी राष्ट्रभाषा हुई, तो कहीं उनका पद उनसे छिन न जाए या वे इतनी सफलतापूर्वक कार्य न कर सकें जितना ये लोग अंग्रेजी में कर सकते थे।

राष्ट्रीय हिंदी दिवस

• भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है
• 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी
• इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है
• एक तथ्य यह भी है कि 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50-वां जन्मदिन था, जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया
• 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था
• हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है
• इस दिन हिन्दी निबंध लेखन, वाद-विवाद हिन्दी टंकण प्रतियोगिता आदि होता है
• हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान की शुरुआत की गई है यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तित्व को दिया जाएगा जिसने जन-जन में हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया है
• हिन्दी में निबंध लेखन प्रतियोगिता के द्वारा कई जगह पर हिन्दी भाषा के विकास और विस्तार हेतु कई सुझाव भी प्राप्त किए जाते हैं
• 14 सितंबर के अलावा हिन्दी भाषा को कुछ और दिन याद रखें इस कारण राष्ट्रभाषा सप्ताह का भी आयोजन होता है
• हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नहीं करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नहीं हो सकता है
• विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है
• विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं
• सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं
• विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनो की शुरुआत की गई
• प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था इसी लिए इस दिन को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता है
• भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी

• भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था

हिंदी भाषा का महत्व- 


धीरे-धीरे हिन्दीभाषा का प्रचलन बढ़ा और इस भाषा ने राष्ट्रभाषा का रूप ले लिया। अब हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत पसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं। एक हिंदुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानी हिन्दी तो आनी ही चाहिए, साथ ही हमें हिन्दी का सम्मान भी करना सीखना होगा। 


टिप्पणियाँ

Popular Posts

शब्द कलश सेमिस्टर २ नोट्स

📔 बी.ए.भाग १ - मोचीराम

पहेलवान की ढोलक ~ फणीश्वरनाथ रेणु

📔 कबीर के दोहे – शब्दकलश Opt -Hindi B.A.I

अभी न होगा मेरा अंत ~ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

तिरस्कार - राजेंद्र श्रीवास्तव

बस्स! बहुत हो चुका - ओमप्रकाश वाल्मीकि

प्रश्नसंच-आलोचनाहिंदी पेपर नंबर 13

शकुंतिका - भगवानदास मोरवाल